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मीठी मुस्कान-07-Jul-2024

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 07/07/2024
मीठी मुस्कान (ग़ज़ल)

वो मुस्कुराए और हमें अपना ग़म दे गए 
हम भी उनके लिए इस जहां से लड़ गए।
बात इतनी सी थी कि वो दूर खड़े थे,
हम गए पास और उनसे सब कह गए।
वो मुस्कुराए और हमें अपना ग़म दे गए।।

ग़म का फ़साना था सिर्फ इतना कि 
वो चाहते थे हमें दिल- ओ-जान से।
यह बात आजतक ना हम समझ पाए,
जब उनकी आंखों में हमने देखा गौर से,,
आंखों ही आंखों में वो साहब सब कह गए।
वो मुस्कुराए और हमें अपना ग़म दे गए।।

ऐ दिल ना करना अब दगा हमने कुछ ऐसी, 
हम नहीं रह पाएंगे दूर उनसे अब कभी।  
उनके होंठों की हंसी रहनी चाहिए बरकरार,
इसी हंसी के तो हम दीवाने हो गए।
वो मुस्कुराए और हमें अपना ग़म दे गए ,
हम भी उनके लिए इस जहां से लड़ गए।।

शाहाना परवीन 'शान'...✍️

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1 Comments

madhura

08-Jul-2024 01:10 AM

V nice

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